How To Concentrate On Studies

पढाई में मन कैसे लगाएं। Upaay Mann Lagane Ke

पढाई में मन कैसे लगाएं ये सवाल बार बार ज़हन में आता है खासकर तब जब हम पढ़ने बैठते हैं।
पढाई से जब तक दोस्ती नहीं करेंगे, तब तक ये सवाल आता ही रहेगा और उत्तर भी हमेशा
निरुत्तर ही रहेगा। तो सबसे आवश्यक यही है की हम ये जाने की पढाई से दोस्ती कैसे की जाए
ताकि पढाई में हम रूचि ले सकें।

पढाई से दोस्ती

पढाई में मन कैसे लगाएं या फिर पढाई से दोस्ती कैसे करें, दोनों एक ही बात है।
इसमें सबसे ज़रूरी है पढाई का महत्त्व जानना।
जब हम जो पढ़ रहे हैं उसे सिर्फ इसलिए नहीं पढ़ें की ये हमारे पाठ्यक्रम का हिस्सा है
बल्कि इसलिए भी की जो हम पढ़ रहे हैं वो आगे भी काम आएगा।
हमारे जीवन में हमारी पढाई हर तरह से काम आने वाली है।
चाहे वो गणित की बात हो या इंग्लिश की या साइंस की।
सभी किसी न किसी प्रकार से जीवन में हमारे काम ही आती हैं।
उदाहरणस्वरूप, इंग्लिश ग्रामर या जिसे व्याकरण कहें वो हमें इंग्लिश बोलने लिखने में काम आएगा ही।
गणित कल को हम यदि कहीं पैसा इन्वेस्ट कर रहे हैं या कुछ खरीद फरोख्त कर रहे हैं तो
काम आना ही है। कितने प्रतिशत निकालना है कितने का, ये पढ़ते समय हम भूल ही जाते हैं
की ऐसा हमारे व्यावहारिक जीवन में भी रोज ही काम आने वाला है।
इसी प्रकार से फिजिक्स में जो हम गति वॉल्यूम घनत्व आदि पढ़ते हैं वो भी काम आते ही हैं।
कहने का सार यही है की
”पढ़ा हुआ कुछ भी कभी भी बेकार नहीं जाता ”
ऐसा सोचकर जब हम पढ़ते हैं तो न सिर्फ हमारा मन लगता है बल्कि हमे वो हमेशा के लिए याद भी रह जाता है।
क्यूंकि उसे हम रटते नहीं हैं या सिर्फ ऐसे ही नहीं पढ़ लेते हैं, उसे हम समझ भी लेते हैं। और जो चीज़ हम समझ
लेते हैं वो हमेशा ही याद रहती है।

लक्ष्य रखें

बहुधा हम पढ़ते हैं तो या सिर्फ अच्छे मार्क्स लाने के लिए या फिर सिर्फ पास होने के लिए या फिर दूसरों को दिखाने के लिए की हम पढाई में बहुत अच्छे हैं। लेकिन चूँकि हम कोई लक्ष्य नहीं रखते उसी कारण जो हम सोचते हैं उसे पा नहीं पाते।
लक्ष्य सबसे पहले तो जीवन का एक होना ही चाहिए और उस लक्ष्य को बेहतर तरह से प्राप्त करने के लिए आपको अपनीपढाई ज़रूरी लगनी चाहिए। आप जो भी लक्ष्य रखेंगे, आप पाएंगे की पढाई तो आवश्यक है ही, साथ ही कल जब आप अपनालक्ष्य प्राप्त कर लेंगे तब भी यही पढाई काम आएगी।
उदाहरण के लिए, यदि आप एक डॉक्टर बनना चाहते हैं तो बायोलॉजी जरुरी है लेकिन उसके साथ ही बाकी विषय भी काम आएंगे ही आएंगे। यहाँ इस उदहारण में बायोलॉजी आपका स्पेशल सब्जेक्ट हो गया क्यूंकि वो आपको पसंद था ही और इसीलिए आपने अपना लक्ष्य भी डॉक्टर बनना रखा। लेकिन वहां तक पहुँचने के लिए भी आपको बाकी सारे विषयों में भी मेहनत करनी पड़ेगी क्यूंकि तभी आगे जाने लायक आपका एग्रीगेट बनेगा।
तो जब हमारा लक्ष्य हमारे सामने स्पष्ट होगा तो ये भी स्पष्ट होगा की हमे हर विषय पर ध्यान देना है।
और यही चीज़ डेली की पढाई में भी रिफ्लेक्ट होने लगेगी क्यूंकि रह रह कर हमे हमारा लक्ष्य याद आता रहेगा।
हमे ये भली भाँती पता होगा की समय वेस्ट नहीं कर सकते।

एकाग्रचित्त रहें

पढाई में मन लगाने के लिए एकाग्रता बहुत महत्वपूर्ण है। परन्तु यदि ऊपर के दोनों पॉइंट्स को हम फॉलो कर रहे हैं तो ये तीसरे पॉइंट में अधिक समस्या नहीं होगी। कारण की मन खुद ही कहेगा की एकाग्रता से पढ़ो।
Concentration बढ़ाने के लिए पढाई से पहले जहाँ जहाँ मन जा रहा है पांच मिनट उन्ही बातों को सोच लो ये कहके की चलो पांच मिनट
तुम्हे ही दे देता हूँ, फिर बाद में मेरे मन में न आना। आप पाओगे की जब आप पढ़ रहे होंगे वाक़ई में वो विचार आपको परेशान नहीं कर रहे हैं। इसके साथ ही पढ़ने से पहले ८-१० सांस गहरी ले लो इससे भी एक तरह की शांति मिलती है और मन एकाग्र होता है।

डेली रूटीन निर्धारित करें

जब आपने रूचि जगा ली और एक लक्ष्य बना लिया तो लाज़िमी सी बात है की आपको
अब प्रतिदिन एक टाइम टेबल के हिसाब से चलना होगा।
यहाँ टाइम टेबल से अभिप्राय मात्र पढ़ने के टाइम टेबल से नहीं बल्कि आपके पूरे
दिन भर के टाइम टेबल से है। अब आपको अपने समय के साथ साथ अपनी फ़िक्र भी
रखनी होगी। आपको ये सुनिश्चित करना होगा की कितना समय आप किस चीज़ को दे रहे हैं।
आप रात में पढ़ रहे हैं या दिन में, दोनों ही स्थतियों में आपको अपनी नींद ठीक से लेनी हैं।
यदि टी वी मोबाइल में भी समय देते हैं तो उसे भी निर्धारित करना होगा।
इसके साथ साथ पढ़ते समय आपको बीच बीच में कितना अंतराल रखना है यानी कितने टाइम का
ब्रेक लेना है उसे भी अपनी क्षमता के अनुसार निर्धारित करना होगा।

दूसरों से पूछें

पढ़ते समय यदि कुछ समझ न आये तो भी आगे के टॉपिक को पढ़िए। ये नहीं की आप अपने विषय की
जगह दूसरे सब्जेक्ट को पढ़ने लगें। जो चीज़ समझ न आये यदि संभव है तो उसका उत्तर वहीं ढूंढिए
चाहे गूगल इत्यादि से या किसी बड़े से अन्यथा उसे मार्क कर आगे बढ़ जाएँ। बाद में याद करके अपने
टीचर से या अन्य किसी से पूछें लेकिन ये सुनिश्चित कर लें की आप संतुष्ट हो गए हैं।

https://en.wikipedia.org/wiki/Concentration

रिवीज़न करना/दोहराना

हर दिन के साथ हमे ये स्मरण होना चाहिए की हमने जो पढ़ा है और जो हमे
याद भी है, हम जिसे समझ भी गए हैं, उसका हमे रिवीज़न करना होगा।
यहीं हम overconfident हो जाते हैं क्यूंकि समय बीतते रहने के साथ आगे का
पाठ्यक्रम पूरा करने का प्रेशर भी रहता है और हम सोचते हैं की पिछले तो
हमे याद ही है। इस पूरे चक्कर में जैसे जैसे टाइम बीतता जाता है, हम पिछला
पढ़ा हुआ भी धीरे धीरे भूलने से लगते हैं। उन कॉन्सेप्ट्स पर हमारा उतना
कमांड नहीं रहता और इसका प्रभाव हमारे आत्मविश्वास पर पड़ता है।
क्यूंकि एग्जाम टाइम में हम कंफ्यूज हो सकते हैं।
इन सबसे बचने के लिए थोड़ा ही सही लेकिन प्रतिदिन पिछले पाठ्यक्रम
को दोहराने का समय भी अपने टाइम टेबल में दीजिये।
परीक्षा के समय यही दोहराया हुआ आपको इतना आत्मविश्वास और समय
दे देता है की उसमे आप बाकी सवालों को और अधिक समय दे सकते हैं।

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